Ghee Khane Ke Fayde: मोटापे और ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों का गुस्सा सबसे पहले घी पर उतरता है, लेकिन क्या वाकई घी दोषी है? आयुर्वेद में घी को औषधि के समान माना गया है। यह एक सात्विक आहार है, जो शरीर के तीनों दोष—वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है।घी से मिलने वाली स्वस्थ वसा (Good Fat) लीवर को मज़बूती देती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। विशेष रूप से घर में बना शुद्ध देसी घी, बाजार के मिलावटी और रासायनिक घी से कहीं बेहतर होता है। कुछ लोग इसे “पूरा सैचुरेटेड फैट” कहकर नकारते हैं, परंतु ध्यान दें कि वनस्पति तेल या रिफाइंड ऑयल, जब अधिक गर्म किए जाते हैं, तो उनमें से पैरॉक्साइड्स और फ्री रेडिकल्स निकलते हैं, जो शरीर के लिए ज़हरीले हो सकते हैं। इससे कैंसर, ह्रदयरोग, और सूजन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसका मतलब यह नहीं कि घी ज़रूरत से ज्यादा खाएं, बल्कि संतुलन रखें। सही मात्रा में शुद्ध देसी घी, आपके शरीर को ताकत और जीवन शक्ति देता है।
क्या रखें सावधानियां ……
भैंस के दूध की तुलना में गाय के दूध में वसा की मात्रा कम होती है। इसलिए शुरुआत में इसका घी कम मात्रा में ही बनेगा, जिससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है। हमेशा उतनी ही मात्रा में घी बनाएं जो जल्द समाप्त हो सके। अगली बार फिर वही प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। गाय के दूध में भी अन्य सामान्य दूध की तरह प्रदूषण का असर हो सकता है। जैसे—कीटनाशकों और रासायनिक खादों के अंश जो चारे के माध्यम से दूध में पहुंच सकते हैं। जैविक (ऑर्गेनिक) घी बनाने में ऐसे प्रदूषण से बचने की पूरी कोशिश की जाती है। यदि संभव हो, तो गाय के दूध की गुणवत्ता की जांच करवा लेनी चाहिए, ताकि उसमें हानिकारक तत्व न हों। जैसा कि हर चीज की अति हानिकारक होती है, उसी प्रकार घी का सेवन भी संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए। संतुलन ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।
गोंद के औषधीय गुण
किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है .यह शीतल और पौष्टिक होता है . उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है . आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है .
1 कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है .
2 नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
3 आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
4 सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।
5 बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
6 हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है • एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती
7 गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है .
8 प्रपोलीश• यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने मंच तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
9 ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
10 इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है
निष्कर्ष (Nikrsh):
रोजाना एक चम्मच देसी घी का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह न केवल पाचन तंत्र को मजबूत करता है बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। देसी घी में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन A, D, E और K शरीर को भीतर से पोषण देते हैं। यह मस्तिष्क को सक्रिय रखता है, त्वचा को चमकदार बनाता है और जोड़ों में चिकनाई बनाए रखता है। नियमित मात्रा में देसी घी लेने से दिल की सेहत बनी रहती है, हड्डियाँ मज़बूत होती हैं और तनाव कम होता है। खास बात यह है कि देसी गाय का शुद्ध घी, सीमित मात्रा में सेवन करने पर वजन घटाने में भी सहायक हो सकता है।